पेरिस 2024 पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल ?

पेरिस 2024 पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल ?

पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल
सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित थी प्रीति

प्रीति की बहन नेहा ने बताया- हम लोग मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। पापा किसान हैं। कुछ सालों से मेरठ में आकर बस गए। दादा, दादी के अलावा घर में पापा अनिल पाल, मम्मी बालेश, बड़ी बहन नेहा, प्रीति, छोटा भाई अनिकेत, विवेक हैं।

प्रीति को छोड़कर तीनों भाई, बहन जॉब करते हैं। नेहा ने बताया कि जन्म से प्रीति को सेलेब्रल पाल्सी थी। दोनों पैर जुड़े थे। वो चल नहीं पाती थी। बहुत दवाई कराई लेकिन असर नहीं हुआ।
10 साल तक बिस्तर पर बिताई जिंदगी: बहन नेहा ने साझा की प्रीति की दर्दनाक कहानी पेरिस 2024 पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल ?

पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल

प्रीति की बहन नेहा ने बताया कि प्रीति का हर संभव इलाज कराया गया, लेकिन उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उसके पैरों को अलग किया और 10 साल तक प्लास्टर बंधा रखा, जिससे वह पूरी तरह से बिस्तर पर ही रहती थी। उसका हर काम बेड पर ही करना पड़ता था।

बाद में जब प्लास्टर हटाया गया, तो उसने धीरे-धीरे चलना शुरू किया, लेकिन उसके पैरों में मजबूती नहीं थी। उसे लोहे के जूते और कैलीपर्स पहनने पड़े, फिर भी वह चलते-चलते गिर जाती थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी और हिम्मत से लड़ती रही

20 किमी का सफर तय करने वाली प्रीति की दास्तान पेरिस 2024 पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल ?

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प्रीति ने जब स्पोर्ट्स में कदम रखा, तो उन्हें प्रैक्टिस के लिए कैलाश प्रकाश स्टेडियम जाना पड़ता था। वह सुबह जाकर रात तक फील्ड से लौटती थीं। कई बार ऑटो नहीं मिलने पर उनके पिता उन्हें लेने जाते थे। प्रीति के अनुरोध पर, उनके पिता ने उन्हें एक ट्राई साइकिल दिलाई। इसके बाद, प्रीति रोजाना घर से स्टेडियम तक 20 किमी का सफर ट्राई साइकिल पर तय करती थीं।
दादी की सोच में बदलाव: प्रीति की सफलता ने तोड़े सारे शक

प्रीति की दादी सरोज ने कहा, “जब प्रीति पैदा हुई, तो मैंने सोचा था कि उसका भविष्य क्या होगा? शादी कैसे होगी? लेकिन जब वह खेलने लगी, तो मैंने उसका खेल छुड़वाने की कोशिश की, लेकिन उसने हार नहीं मानी। आज उसने देश को पदक दिलाकर मेरी सोच बदल दी है।

जैनब खातून से बहुत प्रेरणा मिली और सीखा भी  शुरुआती अभ्यास मेरठ की ही पैरा खिलाड़ी जैनब खातून ने दिया। इसके बाद प्रीति ने कोच गजेंद्र सिंह, गौरव त्यागी से भी ट्रेनिंग ली। बहन नेहा कहती हैं कि प्रीति ने जब खेलना शुरू किया तो बहुत मुश्किल था।

पेरिस 2024 पैरालिंपिक में ब्रॉन्ज ​​​​​​​जीतने वाली प्रीति पाल ? वो चल भी नहीं पाती थी तो दौड़ना तो दूर की बात थी। लेकिन उसने हौसला नहीं छोड़ा। इस घर के सभी लोगों ने उसका पूरा साथ दिया। मेहनत के दम पर उसने स्टेट में पहला गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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