पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व

भारत में पैरा-स्पोर्ट्स कल्चर को बढ़ावा देने की जरूरत है, पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व ताकि विकलांग खिलाड़ियों को समाज में सम्मान और समर्थन मिले। कई देशों में विकलांग लोगों को अपमानित किया जाता है या उनके साथ दया का व्यवहार दिखाया जाता है, जो उनके आत्मविश्वास और प्रदर्शन को प्रभावित करता है। भारत में विकलांग खिलाड़ियों को खिलाड़ी के रूप में मान्यता और समर्थन देने से उन्हें अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन करने में मदद मिल सकती है।
पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व
पैरा-स्पोर्ट्स के प्रति जागरूकता
में वृद्धि के साथ, केंद्र और राज्य स्तर पर खिलाड़ियों के लिए फंड में भी वृद्धि हुई है। 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन के बाद, खेल मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता नियमित और पैरा-एथलीट खिलाड़ियों को दिए जाने वाले नकद पुरस्कार की राशि को समान कर दिया। इस मामले में हरियाणा अग्रणी है, जिसने पैरा-स्पोर्ट्स के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पेरिस पैरालंपिक में भाग लेने वाली 84 सदस्यीय टीम में से 23 खिलाड़ी हरियाणा से थे।पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व
हरियाणा ने पैरा-एथलीटों को आकर्षक पुरस्कार,
पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व सरकारी नौकरियां और सम्मान देकर इन खेलों को बढ़ावा दिया है, जिससे आम लोगों के बीच पैरा-स्पोर्ट्स को प्रतिष्ठा मिली है। सौरभ दुग्गल ने बीबीसी पंजाबी में अपने एक लेख में बताया है कि कैसे कई राज्य पैरा-स्पोर्ट्स में हरियाणा के नक्शेकदम पर चल रहे हैं।
जैसे-जैसे देश में पैरा-स्पोर्ट्स के प्रति जागरूकता बढ़ रही है

पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व

READ THIS 

वैसे-वैसे खिलाड़ियों की संख्या में भी इज़ाफ़ा हो रहा है। व्हीलचेयर क्रिकेटर राहुल रामगुड़े का मानना है कि खिलाड़ियों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह कहते हैं, “शारीरिक अक्षमताओं का सामना करने वाला व्यक्ति अपनी पहचान बनाने और कुछ अलग करने की इच्छा रखता है। अगर उन्हें खेलने का मौका मिले तो वे अपना सब कुछ देने को तैयार रहते हैं। राहुल और उनके साथी व्हीलचेयर क्रिकेट को देश में बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं।
साथ ही, पहचान का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है। पैरालंपिक खिलाड़ी ओलंपिक खिलाड़ियों की तुलना में कम सुर्खियों में रहते हैं, जिसका मतलब है कि उन पर अपेक्षाओं का दबाव कम होता है। लेकिन पैरा-खिलाड़ियों में ज़िंदगी में कुछ अलग करने और मेडल जीतने की भूख़ ज़्यादा होती है, जो उन्हें प्रेरित करती रहती है।
पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व
भारत में पैरा-स्पोर्ट्स के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आया है
लेकिन अभी भी बहुत काम करना बाकी है। खिलाड़ियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और सब कुछ आसान नहीं है। राइफल शूटर अवनि लेखरा ने टोक्यो और पेरिस दोनों पैरालंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता, लेकिन उन्हें अपने अभ्यास स्थल पर व्हीलचेयर के लिए रैंप या रास्ते की कमी का सामना करना पड़ा। यह दिखाता है कि पैरा-स्पोर्ट्स के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में सुधार की जरूरत है।

1 thought on “पैरालिंपिक 2024 में भारत का महत्व”

  1. Pingback: पैरालंपिक गेम्स 2024 के 9वें दिन के खेल के बाद

Leave a Reply

Scroll to Top