इस साल यह सोमवार, 16 सितंबर को मनाया जा रहा है. इस दिन को मुहम्मद के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है और माना जाता है कि इस दिन 570 ई. में मक्का शहर में मुहम्मद का जन्म हुआ था. दुनिया भर में धर्म के अनुयायी पैगंबर की शिक्षाओं और जीवन को दर्शाते हुए इस दिन को मनाते हैं.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी
तारीख़: पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 2024 में यह 15 सितंबर की शाम से 16 सितंबर की शाम तक मनाया जाएगा
उत्सव: मस्जिदों और घरों को सजाया जाता है, विशेष प्रवचन और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। सामूहिक भोजन और जुलूस निकाले जाते हैं, जहाँ पैगंबर की प्रशंसा में भजन गाए जाते हैं।
महत्व: यह दिन पैगंबर मुहम्मद के जीवन और शिक्षाओं पर विचार करने का होता है, जो करुणा, विनम्रता और मानवता के प्रेम का संदेश देता है
उत्सव: इस दिन की शुरुआत विशेष नमाज़ से होती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे से मिलते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। सिवैयाँ और बिरयानी जैसे विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
महत्व: यह त्यौहार रोज़ों के समाप्ति का प्रतीक है और भाईचारे, दान और समुदायिक एकता को बढ़ावा देता है।
ईद-उल-अज़हा (बकरीद)
तारीख़: ईद-उल-फ़ित्र के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है। 2024 में यह जून के अंत में मनाया जाएगा
उत्सव: इस दिन की शुरुआत विशेष नमाज़ से होती है और फिर जानवरों की क़ुर्बानी दी जाती है। क़ुर्बानी का मांस परिवार, दोस्तों और ज़रूरतमंदों में बाँटा जाता है।
महत्व: यह त्यौहार पैगंबर इब्राहीम की अल्लाह के प्रति निष्ठा और बलिदान की याद दिलाता है।
ईद के मौके पर मस्जिदों में विशेष तैयारियाँ और प्रसाधन किए जाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:
सफाई और सजावट: ईद से पहले मस्जिदों की अच्छी तरह से सफाई की जाती है। मस्जिदों को सजाने के लिए फूलों, लाइटों और अन्य सजावटी वस्तुओं का उपयोग किया जाता है।
विशेष नमाज: ईद के दिन विशेष नमाज अदा की जाती है जिसे “ईद की नमाज” कहते हैं। यह नमाज आमतौर पर सुबह के समय होती है और इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं।
खुतबा: नमाज के बाद इमाम द्वारा खुतबा (प्रवचन) दिया जाता है जिसमें ईद के महत्व और इस्लामिक शिक्षाओं पर चर्चा की जाती है।
भाईचारा और मिलन: नमाज के बाद लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं और “ईद मुबारक” कहते हैं। यह भाईचारे और प्रेम का प्रतीक है।
दान और खैरात: ईद के मौके पर दान और खैरात का विशेष महत्व होता है। लोग जरूरतमंदों की मदद करते हैं और उन्हें खाना और कपड़े वितरित करते हैं
मुस्लिम समुदाय के लोग विशेष परिधान पहनते हैं जो पारंपरिक और धार्मिक महत्व रखते हैं।
यहाँ कुछ प्रमुख परिधानों की सूची दी गई है
कुर्ता-पायजामा: पारंपरिक परिधान है जो पुरुष पहनते हैं। कुर्ता एक लंबी शर्ट होती है जिसे पायजामा के साथ पहना जाता है।
शेरवानी: यह एक अधिक औपचारिक परिधान है, जिसे विशेष अवसरों पर पहना जाता है। शेरवानी आमतौर पर शादी और अन्य महत्वपूर्ण समारोहों में पहनी जाती है।
सलवार-कमीज: यह महिलाओं के लिए एक पारंपरिक परिधान है, जिसमें लंबी कुर्ती और सलवार शामिल होते हैं। इसे दुपट्टे के साथ पहना जाता है।
अबाया: यह एक लंबा, ढीला गाउन होता है जिसे महिलाएं पहनती हैं। अबाया आमतौर पर काले रंग का होता है और इसे हिजाब के साथ पहना जाता है।
टोपी और इत्र: पुरुष अक्सर कुर्ता-पायजामा के साथ टोपी पहनते हैं और इत्र लगाते हैं
हाजी अली दरगाह, जामा मस्जिद, निजामुद्दीन औलिया और अजमेर शरीफ सहित भारत भर के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर इस शुभ दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. दुनिया भर के मुसलमान इस त्यौहार को विशेष प्रार्थना करके और अल्लाह से आशीर्वाद मांगकर मनाते हैं.
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