Makar Sankranti 2025: हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व का अत्यधिक महत्व है जाने क्यों ?
Makar Sankranti 2025: ये दिन कई परंपराओं का पालन किया जाता है, जैसे स्नान, दान, पुण्य कार्य और तिल का सेवन। ऐसा माना जाता है कि यदि आप इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करते हैं, तो इससे विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है। इस वर्ष मकर संक्रांति कल, यानी 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन कुछ नियमों का पालन करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। वहीं, कुछ ऐसी गलतियां भी होती हैं, जिन्हें करने से देवी-देवता नाराज हो सकते हैं। आज इस लेख में हम आपको ऐसी ही गलतियों के बारे में जानकारी देंगे, जिन्हें मकर संक्रांति के दिन करने से बचना चाहिए। इन गलतियों को करने पर आपको हानि उठानी पड़ सकती है।

मकर संक्रांति के दिन हिंदू धर्म में कई परंपराओं और नियमों का पालन करना शुभ माना जाता है। इस दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए, ताकि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे। आइए जानते हैं वे गलतियां जो मकर संक्रांति पर नहीं करनी चाहिए:
नकारात्मक भावनाएं और वाणी का प्रयोग: इस दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा या अपशब्द कहने से बचें। मकर संक्रांति को पवित्रता और सकारात्मकता का पर्व माना जाता है।
सूर्य पूजा में लापरवाही: मकर संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य को जल अर्पित करना और मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इसे न करना अशुभ माना जा सकता है।
दान न करना: मकर संक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को तिल, गुड़, कंबल, अन्न, या वस्त्र दान करना चाहिए। दान न करना पुण्य से वंचित होने जैसा है।
स्नान न करना: इस दिन पवित्र नदी या घर पर ही स्नान करके शुद्ध होने का महत्व है। बिना स्नान किए पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कार्य नहीं करने चाहिए।
गंदगी फैलाना: मकर संक्रांति पर घर और आस-पास की सफाई का विशेष महत्व है। इस दिन गंदगी फैलाना या घर साफ न रखना अशुभ माना जाता है।
अशुद्ध भोजन करना: इस दिन ताजा और सात्विक भोजन करना चाहिए। मांसाहार, शराब या किसी भी प्रकार के अशुद्ध पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
तिल और गुड़ न खाना: मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन शुभ माना जाता है। इन्हें न खाना या दूसरों को न देना अशुभ माना जाता है।
इन नियमों का पालन करके आप मकर संक्रांति के पर्व को शुभ और मंगलमय बना सकते हैं। यह दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है।
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