Navratri 2024 day 8: Know about Maa Mahagauri
पूजा विधि से लेकर रंग और महत्व तक, यहां वह सब कुछ है जो आपको जानना आवश्यक है।
नवरात्रि भारत के सबसे प्रमुख और बड़े त्योहारों में से एक है, जो नौ दिनों और रातों तक मनाया जाता है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है, जो स्त्री शक्ति और ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं का प्रतीक हैं। इस दौरान श्रद्धा, व्रत, नृत्य और सांस्कृतिक गतिविधियों की धूम रहती है, और विभिन्न क्षेत्रों में इसे भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
Navratri 2024 day 8: Know about Maa Mahagauri
नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे “दुर्गाष्टमी”कहा जाता है, अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन माँ महागौरी की उपासना की जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। महागौरी पवित्रता, शांति और आध्यात्मिक अनुशासन की प्रतीक मानी जाती हैं। उन्हें सफेद वस्त्रों में, बैल पर सवार दर्शाया गया है, और उनके हाथों में त्रिशूल और डमरू होता है, जो उनके सृजन और विनाश के दोनों स्वरूपों का प्रतीक है।
माँ महागौरी की उपासना से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और वे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद पाते हैं। अष्टमी का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और शुद्धता व धर्म की महत्ता को दर्शाता है।
नवरात्रि के क्षेत्रीय रूप
पश्चिम बंगाल में, नवरात्रि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का उत्सव है। इस दौरान पूरे राज्य में भव्य पंडाल सजाए जाते हैं,
जहां देवी दुर्गा की अलंकृत मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। अंतिम दिन, जिसे विजया दशमी कहा जाता है, देवी की मूर्तियों का विसर्जन धूमधाम से किया जाता है, जो देवी की स्वर्ग वापसी का प्रतीक है।
गुजरात में, नवरात्रि का मतलब “गरबा “और “डांडिया”रास से होता है, जहां लोग पारंपरिक नृत्य करते हैं और रंग-बिरंगे परिधानों में देवी का उत्सव मनाते हैं।
उत्तर भारत में, खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली में, लोग व्रत रखते हैं, विशेष पूजा करते हैं, और
अष्टमी के दिन कन्या पूजन
करते हैं, जिसमें नौ कन्याओं को देवी के नौ रूपों का प्रतीक मानकर पूजा जाता है और उन्हें भोजन व आशीर्वाद दिया जाता है।
Navratri 2024 day 8: Know about Maa Mahagauri
नवरात्रि, विशेषकर अष्टमी, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता को प्रदर्शित करता है, जहां देवी के विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है, जो शक्ति, करुणा और दिव्यता का प्रतीक हैं।