Navratri 2024 day 9: माँ सिद्धिदात्री, महा नवमी पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त,रंग, मंत्र माँ सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है, जो 2024 में 11 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन को माँ के आशीर्वाद और सिद्धि प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है।
नवमी तिथि: Navratri 2024 day 9:
2024 में, नवमी तिथि 11 अक्टूबर को पड़ती है।
नवमी तिथि का आरंभ: 10 अक्टूबर, शाम 6:00 बजे।
नवमी तिथि का समापन: 11 अक्टूबर, शाम 7:36 बजे।
शुभ मुहूर्त: Navratri 2024 day 9:
दिव्य मुहूर्त: प्रातः 6:00 बजे से 7:30 बजे तक।
गोधूलि वेला: शाम 6:00 से 7:00 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 12:00 से 12:30 बजे तक।
पूजा का सर्वोत्तम समय
सुबह का समय: प्रातः काल स्नान के बाद पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
दोपहर का समय: Navratri 2024 day 9: अभिजीत मुहूर्त का समय भी पूजा के लिए विशेष शुभ होता है।
नवरात्रि के नौवें दिन, जिसे नवमी या विजयादशमी भी कहा जाता है, माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माँ सिद्धिदात्री को सम्पूर्ण सिद्धियों की दात्री माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा विधि का पालन करके भक्त मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यहाँ माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है:
स्नान और शुद्धिकरण
प्रभात वेला: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन स्वच्छ वस्त्र पहनना विशेष महत्व रखता है।
पूजा स्थल की सफाई
पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें। इससे वातावरण में पवित्रता आती है।
माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र
स्थापना:
पूजा स्थल पर माँ सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उन्हें एक साफ और सुंदर स्थान दें।
आसन
आसन अर्पित करना: माँ को रत्नमय आसन या फूलों का आसन अर्पित करें। यह सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है।
पाद्य
चरण धोना: माँ के चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करें। यह एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो भक्त की श्रद्धा को दर्शाती है।
अर्घ्य
अर्घ्य अर्पित करना: चंदन, पुष्प, और अक्षत (अनाज) से अर्घ्य दें। इससे पूजा की शोभा बढ़ती है और माता का स्वागत होता है।
आचमन
शीतल जल: माँ को कर्पूर मिला हुआ शीतल जल अर्पित करें। यह उन्हें प्रसन्न करने का एक तरीका है।
स्नान
स्नान कराना: गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से माँ का स्नान कराएं। अंत में शुद्ध जल से स्नान कराना न भूलें। यह स्नान माँ की पवित्रता को बढ़ाता है।
वस्त्र
वस्त्र अर्पित करना: माँ को धौतवस्त्र (सफेद वस्त्र), उपवस्त्र (अलग वस्त्र), और कञ्चुकी (अलंकार) निवेदित करें। यह उन्हें सजाने का प्रतीक है।
श्रृंगार
श्रृंगार सामग्री: चंदन, हल्दी, कुमकुम, सिंदूर, और आभूषण अर्पित करें। ये माँ के प्रति श्रद्धा और प्रेम दर्शाते हैं।
भोग
भोग अर्पित करना: माँ सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाएं। यह प्रसाद विशेष रूप से उनके लिए प्रिय माना जाता है।
कन्या पूजन: यदि संभव हो तो कन्याओं को भी भोजन कराएं। यह नवदुर्गा की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मंत्र जाप
मंत्र का जाप: माँ सिद्धिदात्री के बीज मंत्र का जाप करें:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नम:।
यह मंत्र शक्ति और सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
नवमी का महत्व
नवमी का दिन विशेष रूप से शक्ति, समृद्धि, और सिद्धियों का प्रतीक है। इस दिन की गई पूजा से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है और उनके सभी संकट दूर होते हैं। यह दिन विजय का प्रतीक भी है, जो विशेष रूप से रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है।
Navratri 2024 day 9:
निष्कर्ष
माँ सिद्धिदात्री की पूजा भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव होती है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक संतोष प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली भी लाते हैं।
इन मंत्रों का जाप (Mata rani Mantra)
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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