shailputri mata first day

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रात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन कलश स्थापना भी की जाती है।

यहां मां शैलपुत्री के पूजन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

घटस्थापना मुहूर्त
तारीख: 3 अक्टूबर 2024
समय: सुबह 6:14 से 7:21 बजे तक
पूजा विधि
स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें।
मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें।
धूप, दीप और देसी घी का दीपक जलाएं।
मां शैलपुत्री को भोग लगाएं।

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आरती करें और दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें
शुभ रंग
लाल रंग: मां शैलपुत्री को लाल रंग अतिप्रिय है, इसलिए इस दिन लाल रंग का उपयोग शुभ माना जाता है
भोग
मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी चीजों का भोग लगाना शुभ माना जाता है, जैसे खीर या दूध से बनी मिठाइयाँ
मंत्र
“ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” मंत्र का जाप करें
आपके नवरात्रि के पहले दिन की पूजा मंगलमय हो! क्या आप नवरात्रि के अन्य दिनों के बारे में भी जानना चाहेंगे?
मां शैलपुत्री की कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है। मां शैलपुत्री, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम हैं।

उनका जन्म हिमालय के घर पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। उनके पूर्व जन्म की कथा इस प्रकार है

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मां शैलपुत्री का पूर्व जन्म प्रजापति दक्ष की पुत्री सती के रूप में हुआ था। सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था।

एक बार प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया और जानबूझकर भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा।

सती इस बात से बहुत दुखी हुईं और भगवान शिव से यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी।

शिवजी ने उन्हें मना किया, लेकिन सती नहीं मानीं और यज्ञ में चली गईं

यज्ञ में पहुंचने पर सती ने देखा कि वहां भगवान शिव का अपमान हो रहा है।

इस अपमान को सहन न कर पाने के कारण सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर दिया।

इस घटना से क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने गणों को भेजकर यज्ञ का विध्वंस कर दिया

सती ने अगले जन्म में हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से विख्यात हुईं।

वे पार्वती और हैमवती के नाम से भी जानी जाती हैं

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