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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक: यूट्यूब और सोशल मीडिया पर अपलोडिंग पर प्रतिबंध
जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसलों की लाइव स्ट्रीमिंग को संपादित कर यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह आदेश मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया।
याचिका दमोह के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. विजय बजाज द्वारा दायर की गई थी, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उच्च न्यायालय की लाइव स्ट्रीमिंग का उल्लंघन कर कई लोग इसे एडिट कर इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर रहे हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि इससे न केवल न्यायालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि आर्थिक लाभ भी उठाया जा रहा है।
यह मामला तब सामने आया जब यह पाया गया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2021 में लाइव स्ट्रीमिंग के लिए कुछ नियम बनाए थे, जिनमें यह स्पष्ट किया गया था कि इन स्ट्रीमिंग्स का कॉपीराइट केवल हाईकोर्ट के पास रहेगा। इन नियमों के अनुसार, किसी भी प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग की क्लिपिंग का संपादन, शेयर, या अपलोड करना पूरी तरह से प्रतिबंधित था। हालांकि, इसके बावजूद कुछ सोशल मीडिया यूजर्स और प्लेटफॉर्म्स ने इन नियमों का उल्लंघन किया और लाइव स्ट्रीमिंग की क्लिप्स को संपादित कर अपलोड किया। इसके साथ ही, कई बार न्यायाधीशों, वकीलों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ और मीम्स भी बने।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय से यह भी आग्रह किया कि जो लोग इन नियमों का उल्लंघन कर आर्थिक लाभ उठा रहे हैं, उनसे धन की वसूली की जाए। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर अपलोड की गई इन क्लिप्स को हटाने की मांग भी की गई थी।
सुनवाई के बाद, युगलपीठ ने मप्र हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को संपादित कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड करने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सूचना प्रसारण मंत्रालय, मेटा प्लेटफॉर्म्स, यूट्यूब, एक्स (पूर्व में ट्विटर) और अन्य संबंधित प्लेटफॉर्म्स को नोटिस जारी किया गया और उनसे इस मामले में जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए।YouTube per aisi video dalne per lagi rok
इस आदेश के बाद, अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मुकेश कुमार अग्रवाल और उत्कर्ष अग्रवाल ने इस मामले में पैरवी की। YouTube per aisi video dalne per lagi rok
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह निर्णय उच्च न्यायालय की लाइव स्ट्रीमिंग के दुरुपयोग को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आदेश सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के उपयोगकर्ताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे कोर्ट की प्रक्रियाओं का सम्मान करें और किसी भी लाइव स्ट्रीमिंग सामग्री का गलत इस्तेमाल न करें।